
आ जिन्दगी चल बैठ बातें करें
कुछ मेरी सुन , कुछ अपनी सुना !
पाया क्या कुछ ,या खोया सब
चल सुख- दुःख का हिसाब करें !
न सपनो में जियें ना झूठी आस में रहें
चल मिलकर हकीकत की जमीं पर पाँव धरें !
अपनी मुस्कुराहट के लिए तो बहुत जी लिया
अब औरो की हँसी के लिए कुछ कर्म करें !
अपनों के साथ गिर गिर कर खुद उठते रहे
चल किसी गैर के उठने में मदद करें !
आ जिन्दगी ! चल बैठ बातें करें ......
2 comments:
उज्जवल भैया,
ज़िन्दगी के बारे मैं कितनी सचाई लिखी है आपने, बहुत बढ़िया .
Regards,
Rajender Chauhan
http://rajenderblog.blogspot.com
आपको रचना पसंद आई और आपने हमारा उत्साह वर्धन किया इसकेलिए आपका बहुत बहुत आभार राजेंदर जी ..
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