मैं तेरी हूँ !

जाने से पहले इतना तो कर जाउंगी
तेरे पलकों की पोरों को गीला कर जाउंगी !

मेरी आँखों की नमी को तो तू देख न पाया
अब तेरे खरे पानी का दर्द तुझे सताएगा !

मैं तेरी यादों में रात भर तड़पती रही
पर अब तू खुद सोना भूल जायेगा !

मेरे दिल-ए- दर्द को तुने मजाक समझा
अब तेरा दर्द ही तुझे मेरी याद दिलाएगा !

मैं सिर्फ तेरी हूँ , यदि यह सच है
तो देखना एक रोज तू भी मेरा हो जायेगा !

अगर मेरा प्यार सच है तो
खुदा खुद तुझे ले मेरे पास आयेगा !!

फिर ताज नही ..

क्यों कहते हो मेरे लिए ताजमहल बनाओगे
क्या जीतेजी तुम मुझे दफनाओगे ?
मैंने सब कुछ खोया है सिर्फ तुम्हे पाने के लिए
न की मिट्टी में दफ़न हो ताजमहल कहलाने के लिए !

नहीं बनना मुझे एक ऐसे महल की कब्र
जिसमें चारों तरफ जल रही हो हमारे मुहब्बत की अब्र !
जिसे देखने तो सब आये, पर
दीवारों में सिसकती हमारे प्यार को कोई सुन ना पाये !

चलो आज में तुमसे कहती हूँ -
चलो एक छोटा सा घर बनाये
जिसे हम अपने प्यार के रंगों से सजाये
जिसके दरवाजे से खुशिया आये
खिड़की से सुख - समृद्धि की हवा घर में भर जाये !

जिसके आस - पास न हो कोई दुःख या पीर
जिसके किनारे पर बहे एक इश्क की नीर
उस नीर में हम खेले और नहाये
अपने चारों तरफ एक प्यारा सा संसार बसाये !

आओ ! चलो हम मिलकर एक छोटा सा घर बनाये !!!!!!!

आखिर क्या है प्यार ?

एक शब्द
एक अधूरा शब्द
शब्दों का मेल
या भावनाओ का खेल
आखिर क्या है प्यार ?

एक नया रिश्ता
रिश्तो का बंधन
सानिध्य का ख्याल
या सपनो का बनता बिगड़ता जाल
आखिर क्या है प्यार ?
एक समर्पण
एक से प्रतिबद्धता
किसी को पाने की चाह
या दिल से निकलती एक मीठी आह
आखिर क्या है प्यार ?

एक नई उमंग
मन में उठती एक नई तरंग
चाँद - तारे तोड़ने का हौसला
या कभी कभी महसूस होता एक गलत फैसला
आखिर की है प्यार ?

आखिर क्या है प्यार ??

तेरी - मेरी परछाई...

दीवारों पे तेरा नाम लिखना नही आता
तुझसे खुद को अलग करके सोचना नही आता
चंद फासले आज भी है हमारे बीच
पर अब इन्हे भरना नही आता ,

एक वो दिन था जब पहली बार तेरी परछाई से मेरी परछाई टकराई थी
दिल ने हौले से इसे एक करने की दस्तक लगायी थी
तेरे साथ कुछ कदम और चलने का सपना था
पर जाने क्यों तुझे रास्ता बदलना था ...

मैं आज भी उस मोड़ पे हूँ
जंहा तक तेरे कदमो के निशान है
अब जाऊँ तो किधर जाऊँ
मैं खुद में बड़ा हैरान - परेशान हूँ ..

सोचता हूँ
काश तुमने रास्ता न बदला होता
मेरे साथ न छोड़ा होता
हमारी परछाई एक होती
किसी नए रस्ते की न तलाश होती

पर अब इन बातो में क्या रखा है
तेरे बारे में सोचना एक धोखा है
जिन्दगी बहुत आगे आ चुकी है

तेरे रास्ते से मेरा रास्ता जुदा है
अब दोनों का अलग अलग खुदा है
तुझे याद करने की कोई वज़ह नही
पर तुझे भूल जाऊँ ये भी तो संभव नही !!!!!!!!!!