तेरी - मेरी परछाई...

दीवारों पे तेरा नाम लिखना नही आता
तुझसे खुद को अलग करके सोचना नही आता
चंद फासले आज भी है हमारे बीच
पर अब इन्हे भरना नही आता ,

एक वो दिन था जब पहली बार तेरी परछाई से मेरी परछाई टकराई थी
दिल ने हौले से इसे एक करने की दस्तक लगायी थी
तेरे साथ कुछ कदम और चलने का सपना था
पर जाने क्यों तुझे रास्ता बदलना था ...

मैं आज भी उस मोड़ पे हूँ
जंहा तक तेरे कदमो के निशान है
अब जाऊँ तो किधर जाऊँ
मैं खुद में बड़ा हैरान - परेशान हूँ ..

सोचता हूँ
काश तुमने रास्ता न बदला होता
मेरे साथ न छोड़ा होता
हमारी परछाई एक होती
किसी नए रस्ते की न तलाश होती

पर अब इन बातो में क्या रखा है
तेरे बारे में सोचना एक धोखा है
जिन्दगी बहुत आगे आ चुकी है

तेरे रास्ते से मेरा रास्ता जुदा है
अब दोनों का अलग अलग खुदा है
तुझे याद करने की कोई वज़ह नही
पर तुझे भूल जाऊँ ये भी तो संभव नही !!!!!!!!!!

6 comments:

प्रकाश गोविंद said...

टूटे दिल की दास्ताँ कुछ ऐसी ही होती है !

सुन्दर रचना !

लिखते रहें !
पुनः मिलता हूँ !

मेरी शुभकामनाएं !!!

कृपया वर्ड वैरिफिकेशन की उबाऊ प्रक्रिया हटा दें !
इसकी वजह से प्रतिक्रिया देने में अनावश्यक परेशानी होती है !

तरीका :-
डेशबोर्ड > सेटिंग > कमेंट्स > शो वर्ड वैरिफिकेशन फार कमेंट्स > सेलेक्ट नो > सेव सेटिंग्स


आज की आवाज

ज्योति सिंह said...

तेरे रास्ते से मेरा रास्ता जुदा है
अब दोनों का अलग अलग खुदा है
तुझे याद करने की कोई वज़ह नही
पर तुझे भूल जाऊँ ये भी तो संभव नही
bahut shandar .badhai ho .

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

khub.narayan narayan

Unknown said...

kya khoob !
bahut khoob !
_____________umda kavita !
_____________pyaari kavita !
badhaai !

Ujjwal Srivastava said...

प्रकाश गोविन्द जी, ज्योति जी, नारदमुनी जी, राजेंद्र जी मेरी रचना पसंद करने और मेरा उत्साह वर्धन के लिए आप लोगो का बहुत बहुत आभार ...........धन्यवाद !

Anonymous said...

Beautiful poetry, this one touched me deeply. I can't write in hindi, coz no key board. Wish you lots of inspirations to write.

Kavita (your new friend)

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