आखिर मैं क्या करूँ...

अपने प्यार को बयाँ करू
या तुझसे शिकवा करू
तू ही बता दे दोस्त
खुद्द को कैसे जाहिर करू ..............

मेरे सच पे तो तुझे यकीन नहीं
झूठ को कैसे मै सच साबित करू ..
मेरी परछाई से जो तुझे नफरत है तो
खुद को कैसे अपनी परछाई से जुदा करू .............

हर लम्हा तू मेरे साथ है
मैं कैसे तुझे खुद से जुदा करूँ
तू मेरे लिए तो सब कुछ है
पर मैं भी तेरा बन जाऊँ, तू ही बता
आखिर मैं क्या करूँ..............?

1 comments:

वीनस केसरी said...

उज्जवल जी

बहुत खूब लिखा है आपने


चिटठा जगत में आपका स्वागत है
आप ने जो लिखा उसका भाव मुझे बहुत अच्छा लगा
आपका स्वागत है तरही मुशायरे में भाग लेने के लिए सुबीर जी के ब्लॉग सुबीर संवाद सेवा पर
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वीनस केसरी

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